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सम्पत्ति के विक्रय हेतु करार (विक्रय अनुबंध) Agreement to Sale (ATS)

विक्रय - अनुबंध   यह करार दिनांक - ........................... को ........................................ ( विक्रेता ) एंव जो इस विलेख का प्रथम पक्षकार है तथा  ( क्रेता ) एवं जो इस विलेख का द्वितीय पक्षकार है के बीच लखनऊ शहर में निष्पादित किया गया। उक्त प्रथम पक्षकार की अचल संपत्ति ..........................................................................(संपत्ति का विवरण) ,  जिसका कि प्रथम पक्षकार पू्र्णरुपेण स्वामी है और इस संपत्ति का अधिपत्यधारी है। TAEKWONDO AND SELF DEFENSE CLASSES संपत्ति का विस्तृत विवरण 1.  सम्पत्ति का प्रकार          - ................................ 2.  वार्ड                      -....................................... 3.  मोहल्ला / ग्राम               - .................................... 4.  सम्पत्ति का विवरण         - ...................................... 5.  मापन की इकाई             - वर्गमीटर 6.  सम्पत्ति ( भवन ) का कुल      - ................................ वर्गमीटर क्षेत्रफल        7.  सड़क कि स्थिति             -.........................
  AFFIDAVIT FOR NAME CHANGE  I, ———————–S/o———————Daughter of ——————-, aged around ———-years, resident of ——————–, do hereby solemnly affirm as under: 1.That my name as per the records is —————-{earlier name). 2.That I have changed my name as _________ on (date of change of name). 3.At present all the records have my new name _________. 4. I am getting a public notice published to this effect in the newspaper. 5. I state that (earlier name) .............. and the (present name) ............ is the name of one and the same person and that is myself. 6. I am executing this declaration to be submitted to the concerned authorities for the change of name. 7. I hereby state that whatever is stated herein above are true to the best of my knowledge. Solemnly affirmed at ________ ) On this ____ day of ______ 20 ) (Signature of the                Applicant). Deponent                                   VERIFICATION:                     I Verified on this day—————–at ———————that the contents of the

चार्जशीट (आरोप-पत्र) क्या है ? WHAT IS CHARGE SHEET IN HINDI ?

चार्जशीट क्या है ? WHAT IS CHARGE SHEET IN HINDI ? चार्जशीट, इसे हिंदी में आरोप-पत्र कहा जाता है। चार्जशीट(आरोप-पत्र) से संबंधित प्रवाधान दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा  173 में दिए गए हैं। सामान्य तौर पर किसी भी आपराधिक मामले में पुलिस को न्यायालय के समक्ष 90 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी कर चार्जशीट पेश करनी होती है। इसी के आधार पर न्यायालय आरोपी के विरुद्ध आरोप तय करता है या फिर आरोप निरस्त कर देता है। TAEKWONDO AND SELF DEFENSE CLASSES क्यों महत्वपूर्ण होती है चार्जशीट (आरोप-पत्र) ? Why is Charge Sheet important? जब भी कोई आपराधिक घटना घटित होती है तो सबसे पहले उस मामले की पुलिस थाने में  FIR  दर्ज की जाती है। FIR दर्ज हो जाने के बाद संबंधित मामले में जांच शुरू होती है और फिर पुलिस को कोर्ट में 90 दिनों के अंदर उस मामले से  संबंधित चार्जशीट दाखिल करनी होती है। यदि किसी कारण से जांच में अधिक समय लगता है तो पुलिस द्वारा 90 दिनों के बाद भी चार्जशीट दाखिल की जा सकती है, लेकिन ऐसी स्थिति में संबंधित मामले में आरोपी व्यक्ति जमानत (bail, बेल) का हकदार हो जाता है, इसलिए पुलिस की यह कोश

AFFIDAVIT FOR ANTI-RAGGING format in English

                                                         AFFIDAVIT FOR ANTI-RAGGING   I, …………………………………………….. , S/o………………………………… ,R/o ………………………………………….do hereby solemnly state and affirm as under :-   a.  I undertake that I shall not disobey any rule of the University and shall not indulge in any incidence of ragging and other criminal activities. I assure that I shall neither insists nor instigate any person for action, which may vitiate the academic atmosphere of the University.   b.  I, also undertake that I shall not be engaged on any social media plateform to share or propagate any activity which may damage the image of University.   c.  If, I do not abide by aforesaid undertaking/declaration, the University may take apropriate action to the extent of rustication and initiation of legal proceedings against me.                                                      (Signature of student)   Verification   Verified that the contents of this affidavit are true to the best of my knowledge

Injuria sine damno (बिना हानि के क्षति)

बिना हानि के क्षति ( injuria sine damno )  बिना हानि के क्षति का तात्पर्य है कि हालांकि वादी को क्षति (विधिक क्षति) हुई है, अर्थात् उसमें निहित किसी विधिक अधिकार का अतिलंघन हुआ है किन्तु उसको चाहे कोई हानि कारित न हुई हो, वह फिर भी प्रतिवादी के विरुद्ध वाद ला सकता है। Injuria sine damno  एक लैटिन सूक्ति है, जिसका सामान्य अर्थ है " बिना क्षति के हानि ", यह सूक्ति 2 लैटिन शब्दों  injuria और  damno से मिलकर बनी है जिसमें -- injuria का अर्थ है – किसी अधिकार का उल्लंघन, तथा damno का अर्थ है – वास्तविक क्षति अथवा नुकसान TAEKWONDO AND SELF DEFENSE CLASSES इस सूत्र का अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति के विधिक अधिकार का उल्लंघन होता है तो वादी को वाद दायर करने का अधिकार होगा चाहे उस अधिकार के उल्लंघन से उसे कोई भी वास्तविक हानि या क्षति न हुई हो। अतः इस सूत्र के अनुसार अपकृत्य के लिए मात्र यह सिद्ध करना ही आवश्यक है कि विधिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है तथा वास्तविक हानि या नुकसानी को सिद्ध करना आवश्यक नही है |   वाद - ऐशबी बनाम ह्वाइट  (1703)   उपरोक्त वाद में ही ‘बिना हानि के क्षति ’ (Inj

अन्तराभिवाची वाद (Interpleader suit)

  अन्तराभिवाची   वाद क्या है ?   अन्तराभिवाची वाद   सामान्यतया कोई भी वाद वादियों व प्रतिवादियों के बीच होता है परन्तु अन्तराभिवाची वाद में विवाद वादी व प्रतिवादी के बीच न होकर प्रतिवादियों के बीच ही होता है। वादी वाद की विषय - वस्तु में किसी भी प्रकार का कोई हित नहीं रखता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जब प्रतिवादियों में आपस में वाद की विषय - वस्तु के  स्वामित्व के लिए वाद होता है उसे अन्तराभिवाची वाद कहते हैं।   अन्तराभिवाची वाद से संबंधित प्रावधान सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 88 और आदेश 35 में किए गए हैं।   सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के अनुसार   जहाँ दो या अधिक व्यक्ति उसी ऋण , धनराशि या चल या अचल संपत्ति के बारे में एक दूसरे के प्रतिकूल दावा किसी ऐसा अन्य व्यक्ति से करते हैं जिसका ऐसी संपत्ति के प्रभारों और खर्चों से अलग और कोई हित नहीं होता और ऐसे अन्य व्यक्ति उस संपत्ति को अधिकारवान् दावेदार को देने के लिए तैयार है , वहाँ ऐसा अन्य व्यक्ति ऐसे सभी दावेदारों के खिलाफ एक अन्तराभिवाची वाद इस उद्देश्य से संस्थित करेगा कि इस बात का विनिश्चय किया जा सके कि संपत्ति किसे

Ut res magis valeat quam pereat

  अर्थान्वयन  अमान्य से मान्य करना अच्छा  है ( Ut res magis valeat quam pereat ) यह अत्यन्त आवश्यक है कि किसी भी कानून को पूरी तरह से भली-भाँति पढ़ा जाना चाहिए और किसी उपबन्ध का अर्थान्वयन करते समय कानून के सभी भागों को एक साथ लेकर चलना चाहिए। किसी उपबन्ध को एकाकीपन से निर्वचित नहीं किया जा सकता है। कभी-कभी शब्दों के अर्थ उसी उपबन्ध में प्रयोग किए गए अन्य शब्दों से तथा कभी उसी कानून में कुछ अन्य उपबन्धों के सन्दर्भ में समझे जाते हैं। परन्तु न्यायालय को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अन्य उपबन्धों की सहायता से किसी उपबन्ध का अर्थान्वयन खींच-तान कर नहीं किया जाना चाहिए ऐसा केवल तभी किया जाना चाहिए जब न्यायालय की दृष्टि से विधायिका का ऐसा ही आशय है। TAEKWONDO AND SELF DEFENSE CLASSES              जहाँ पर दो अनुकल्प अर्थान्वयन संभव होते हैं तब इस स्थिति में न्यायालय द्वारा उस अर्थ का चयन किया जाता है जो उस पद्धति को, जिसके लिए उस कानून को पारित किया गया है, बनाये रख कर कार्य करता रहे न कि ऐसे जिससे कार्य के पूर्ण होने में समस्याएँ उत्पन्न हों। दोनों निर्वचनों में से वह जो सीमित हो औऱ जिनके