किरायेदारी अनुबंध-पत्र (Rent agreement format in hindi)
किरायेदारी अनुबंध-पत्र
किरायेदारी अनुबंध-पत्र में सामान्य तौर पर निम्नलिखित जानकारियाँ दी होती है -
- मालिक का पूरा नाम व पता
- किरायेदार का पूरा नाम व पता
- किराये की सम्पत्ति की पूरी जानकारी (पता)
- किराये के रूप में दी जाने वाली राशि
- किरायेदारी की समय-सीमा (अवधि)
प्रथम-पक्ष का पूरा नाम, पिता का नाम, पता
------------ प्रथम पक्ष / मकान/दुकान स्वामी
एवं
द्वितीय-पक्ष का पूरा नाम, पिता का नाम, पता
---------------- दूसरा पक्ष / किरायेदार
विदित है कि प्रथम पक्ष एक किता ............................................................................ की मालिक कागिल व काबिज हूँ। प्रथम पक्ष ने अपने उपरोक्त मकान / दुकान दूसरे पक्ष को किराये पर दिया है।
अतः हम उभयपक्ष बिना किसी जोर दबाव व लालच के स्वस्थ मस्तिष्क, किराया संबंधी अनुबंध करते हुए निम्नलिखित शर्तों के पाबंद होते हैं -
1. यह कि प्रथम पक्ष एक क्रिता मकान / दुकान स्थित ............................................................., में प्रथम पक्ष द्वारा अपने उक्त मकान / दुकान का किराया वाला भाग दिनांक- .................. से ...........................तक, .................. के लिए दूसरे पक्ष को किराये पर दे रहा है।
2. यह कि उपरोक्त मकान / दुकान में जो भी बिजली व पानी का उपयोग दूसरे पक्ष द्वारा किया जाएगा उसका भुगतान प्रतिमाह अलग से देय होगा।
3. यह कि दूसरा पक्ष, प्रथम पक्ष को मकान / दुकान हेतु, किराये के रूप में प्रतिमाह रुपया ......................................... /- (................................) अदा करेगा।
4. यह कि दूसरे पक्ष ने प्रथम पक्ष को उपरोक्त किरायेदारी के बाबत ............... माह का अग्रिम किराया, रुपये ......................................./- (................................................................ मात्र) बतौर सिक्योरिटी मनी दे दिया है। जिसकी प्राप्ति प्रथम पक्ष को स्वीकार्य है। यह राशि, बिना ब्याज के किरायेदारी की समाप्ति पर वापस कर दी जायेगी।
5. यह कि दूसरा पक्ष उक्त किरायेदारी वाले भाग का निर्धारित किराया प्रत्येक माह की ............. से .............. तारीख तक बिना किसी हीला-हवाली के अदा करेगा। यदि उक्त किरायेदार / दूसरा पक्ष ............... माह तक किराया नहीं अदा करता है तो मकान / दुकान मालिक / प्रथम पक्ष को यह अधिकार होगा कि वह किरायेदारी समाप्त कर सके, इसमें किरायेदार / दूसरे पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी।
6. यह कि दूसरा पक्ष एक माह पूर्व लिखित या मौखिक सूचना देकर जब चाहे मकान / दुकान खाली कर सकता है एवं प्रथम पक्ष भी एक माह पूर्व लिखित या मौखिक सूचना देकर उक्त मकान /दुकान को खाली करवा सकता है, जिसमें किसी भी पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी।
7. यह कि दूसरा पक्ष उक्त मकान / दुकान का रख-रखाव ठीक प्रकार से करेगा, तथा बिना प्रथम पक्ष की अनुमति से कोई तो़ड़-फोड़ या नव निर्माण आदि नहीं करायेगा।
8. यह कि दूसरा पक्ष उक्त किरायेदारी वाले हिस्से में कोई असामाजिक गतिविधियाँ उत्पन्न होने पर यह किरायेदारी अनुबंध समाप्त कर दिया जाएगा।
9. यह कि दूसरा पक्ष उक्त मकान / दुकान पर किसी प्रकार का कोई अनैतिक एवं गैरकानूनी कार्य नहीं करेगा, अगर वह ऐसा करता है तो वह स्वयं जिम्मेदार होगा एवं मकान / दुकान को तुरन्त खाली करना होगा।
10. यह कि उक्त मकान / दुकान में कोई शिकमी किरायेदार नहीं रखेगा तथा मकान / दुकान जिस स्थिति में किराये पर दिया गया है, उसे यथास्थिति में वापस देगा।
11. यह कि यह अनुबंध पत्र, दि्नांक- ..................... से ...................तक निष्पादित किया जा रहा है। ...................................... बाद उक्त किरायेदारी स्वतः निरस्त मानी जायेगी।
12. यह कि यदि उभय-पक्ष उक्त किरायेदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो किरायेदारी की राशि में ................. प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर, दोनों पक्षों की आपसी सहमति से नई शर्तों के साथ नये अनुबंध पत्र द्वारा कर सकेंगे।
13. यह कि मकान / दुकान में 24 घंटे सुरक्षा की जिम्मेदारी दूसर पक्ष की होगी। इस संबंध में प्रथम पक्ष की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
14. यह कि उपरोक्त शर्तें उभयपक्षों एवं उनके वारिसानों पर भी लागू होंगी।
लिहाजा यह किरायेदारी अनुबंध पत्र समक्ष गवाहान लिखवा दिया, तथा पढ़कर, सुन-समझकर, बिना किसी जोर दबाव नाजायज के समक्ष गवाहान, अपने-अपने हस्ताक्षऱ बनाये, ताकि सनद रहे और वक्त जरुरत काम आवे।
.....................
दिनांक -
प्रथम पक्ष / मकान स्वामिनी
हस्ताक्षऱ गवाहान-1
दूसरा पक्ष / किरायेदार
हस्ताक्षर गवाहान-2
Comments
Post a Comment