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Showing posts from October, 2020

उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र (Succession Certificate)

  उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र  (Succession Certificate) उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र (Succession Certificate) एक तरह का कानूनी दस्तावेज है जिसे न्यायालय किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति, ऋण या देनदारी को उसके उत्तराधिकारी के सुपुर्द करने के लिए जारी करता है। यह प्रमाण-पत्र इस बात की पुष्टि करता है कि संबंधित व्यक्ति वास्तव में मृतक का विधिक उत्तराधिकारी है।     यहां हम साधारण शब्दों में जानेंगेे कि क्या होता है     उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र? जब कोई व्यक्ति अपनी चल संपत्ति जैसे- बैंक बैलेंस, बीमा राशि, शेयर आदि बिना किसी को वसीयत (Will) किए मर जाता है, तो उसके विधिक उत्तराधिकारी को यह संपत्ति प्राप्त करने के लिए न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate) बनवाना होता है। न्यायालय उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र कैसे जारी करता है और क्या होती है उसकी कानूनी प्रक्रिया  1. याची द्वारा न्यायालय में याचिका दाखिल करना (Petition): सबसे पहले मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति को उत्तराधिकार अधिनियम 2005 की धारा - 372  के अंत...

गिरफ्तारी क्या है?

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  गिरफ्तारी व गिरफ्तारी के नियम संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों में दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार को भी सम्मिलित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 21 में व्यक्ति की दैहिक स्वतन्त्रता की बात कही गयी है और यह भी बताया गया है कि प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह देश में कहीं भी जहाँ कानूनी अवरोध न हो आने व जाने के लिए स्वतन्त्र है। परन्तु यदि किसी व्यक्ति पर कोई अभियोग लगता है तो कुछ युक्तियुक्त कारणों व परिस्थितियों की वजह से कानूनी तौर पर उसे गिरफ्तार करना आवश्यक हो जाता है। जिसके कुछ नियम होते हैं, जो कि देश के प्रत्येक नागरिक को जानने चाहिए। इन नियमों को जानने से पहले गिरफ्तारी क्या है, यह जानना आवश्यक है।   गिरफ्तारी क्या है  ?    गिरफ्तारी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति को युक्तियुक्त कारणों के आधार पर कानूनी रूप से उसकी स्वतन्त्रता से वंचित कर दिया जाता है। आपराधिक विधि में पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए आरोपी जिसने अपराध किया है उसकी गिरफ्तारी आवश्यक होती है। इसके लिए अपराधी या आरोपी को गिरफ्तार करने के कुछ नियम हैं जिनके बारे में दण्ड प्र...

Restrictions of transferable rights of bhoomidhar

  भूमिधरों द्वारा भूमि के अन्तरण पर प्रतिबंध सामान्य तौर पर कोई भी व्यक्ति अपनी निजी जमीन का अन्तरण अर्थात उसे बेच सकता है, बंधक या पट्टे पर भी दे सकता है परन्तु ऐसे अन्तरण पर सरकार ने कुछ  प्रतिबंध लगाए हैं।   उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा- 88 में यह प्रतिबंध किया गया है कि संक्रमणीय अधिकार वाले भूमिधर का हित संक्रमणीय होता है। इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति दान, पट्टा, विक्रय या अन्य कोई अन्तरण कर सकता है, परन्तु भूमिधर का अन्तरण का अधिकार आत्यन्तिक नहीं है। ऐसा अन्तरण संहिता के उपबन्धों के अधीन किया जाना चाहिए। भूमिधर(जमीन के मालिक) का अपने हित का अन्तरण निम्नलिखित प्रतिबंधों के अधीन होता है — 1.  साढ़े बारह एकड़ का प्रतिबंध — धारा-89(2) 2.  विदेशी नागरिक द्वारा भूमि के अर्जन पर रोक — धारा-90 3.  अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा अन्तरण पर प्रतिबंध — धारा-98 4.  अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा अन्तरण पर प्रतिबंध — धारा-99 5.  पट्टे द्वारा अन्तरण पर प्रतिबंध — धारा-94 6.  बंधक द्वारा अन्तरण पर प्रतिबंध — धारा-91   1.  साढ़े ...