समन ( Summons ) क्या है, इसकी तामील कैसे की जाती है?

 समन क्या है


 दण्ड प्रक्रिया संहिता ( CrPC ) 1973 में समन को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है, परन्तु समन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। 

समन एक तरह का बुलावा पत्र होता है जो न्यायालय मजिस्ट्रेट या किसी अन्य प्राधिकृत अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत् तौर पर एक निश्चित समय व स्थान पर मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने अथवा दस्तावेज पेश करने के लिए जारी किया जाता है।

अर्थात् समन एक धीमी आदेशिका है जो साक्षियों या अभियुक्तों को पेश होने के लिए जारी की जाती है या दस्तावेज अथवा अन्य किसी वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए जारी की जाती है।

 

समन का प्रारूप


दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 61 में समन के प्रारूप के बारे में बताया गया है।

धारा 61 के अनुसार समन में निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक होता है -

1. समन लिखित में होना चाहिए।

2. समन दो प्रतियों में होना चाहिए।

3. पीठासीन अधिकारी या अन्य प्राधिकृत अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।

4. उस पर न्यायालय की मुद्रा लगी होनी चाहिए।

 

                        समन में समन किए गए व्यक्ति का पूरा नाम व पता स्पष्ट लिखा होना चाहिए तथा समन किए गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष कब उपस्थित होना है उसकी तारीख दिन व समय लिखा होना चाहिए व किए गए अपराध का समय औऱ प्रकृति भी लिखी होनी चाहिए। यदि इऩ विवरणों में से किसी एक का भी समन में उल्लेख न हो तो ऐसी स्थिति में उस पर की गई कार्यवाही अवैधानिक होगी।

 

समन की तामील क्या है?

 

समन में जो भी जानकारी दी गयी है और पीठासीन अधिकारी द्वारा जिस भी व्यक्ति को इसके माध्यम से न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है उस व्यक्ति को इसकी जानकारी हो जाए, इसे ही समन की तामील कहा जाता है।

 

अतः कहा जा सकता है कि समन की तामील का अर्थ है कि जिस व्यक्ति को समन द्वारा बुलाया गया है उसकी जानकारी उसे हो जाए।

 

समन की तामील कैसे होती है? 

 

1. समन की वैयक्तिक रूप में तामील 

दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 62 में समन की वैयक्तिक रूप में तामील से सम्बन्धित उपबंध किए गए हैं।

संहिता की धारा 62 की उपधारा 1 को अनुसार प्रत्येक समन की तामील पुलिस अधिकारी द्वारा या ऐसे नियमों के अधीन जो राज्य सरकार इसके लिए बनाए, उसी न्यायालय के किसी अधिकारी या किसी अन्य लोक सेवक द्वारा की जाएगी।

संहिता की धारा 62 की उपधारा 2 कहती है कि समन सिर्फ दिखाया ही नहीं जाता है बल्कि समन किए गए व्यक्ति को एक प्रति दे दी जाती है। समन की एक प्रति के निविदान से समन की तामील हो जाती है।

संहिता की धारा 62 की उपधारा 3 के अनुसार यदि अधिकारी अपेक्षा करें तो जिस व्यक्ति को समन भेजा गया है वह समन की दूसरी प्रति के पृष्ठांकन भाग पर अपने हस्ताक्षर कर देगा। इस प्रकार यह उपधारा समन की तामील की लिखित रूप में अभिस्वीकृति प्राप्त करने के लिए उसकी तामील के प्रभावी व सुनिश्चित करती है।

 

2. निगमित निकायों व सोसाइटी पर समन की तामील

संहिता की धारा 63 कहती है कि निगमित निकाय या सोयाइटी पर  समन की तामील उसके सचिव , स्थानीय प्रबंधक या अन्य किसी प्रधान अधिकारी पर तामील करके अथवा निगम के मुख्य अधिकारी के पते पर रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजे गए पत्र के माध्यम से की जा सकती है।

 

3. समन किए गए व्यक्ति के न मिलने पर तामील

संहिता की धारा 64 के अनुसार सम्यक् तत्परता व पूर्ण सावधानी बरतने के बाद भी यदि समन किया गया व्यक्ति न मिल सके तो समन की एक प्रति उसके परिवार के किसी वयस्क पुरुष सदस्य को दी जा सकती है जो उसी के साथ रहता हो। यदि अपराधी द्वारा अपेक्षा की जाती है तो जिसके पास समन छोड़ा जाता है वह दूसरी प्रति के पृष्ठ भाग पर उसके लिए रसीद हस्ताक्षरित करता है।

 

4. सरकारी सेवक पर तामील 

संहिता की धारा 66 की उपधारा 1 के अनुसार यदि समन किया गया व्यक्ति सरकार की किसी सक्रिय सेवा में है तो वहाँ समन जारी करने वाला न्यायालय ऐसा समन दो प्रतियों में उस कार्यालय के प्रधान सरकारी सेवक को भेजेगा तब वह प्रधान सेवक  धारा 62 में बताए गए प्रावधान से समन की तामील कराएगा और उस धारा द्वारा अपेक्षित पृष्ठांकन सहित उस पर अपने हस्ताक्षर करके उसे न्यायालय को लौटा देगा।

संहिता की धारा 66 की उपधारा 2 के अनुसार इस प्रकार किया गया हस्ताक्षर सम्यक् तामील का साक्ष्य होगा।

 

5. क्षेत्रीय सीमा से बाहर समन की तामील

संहिता की धारा 67 कहती है कि न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर समन की तामील हेतु समन उस मजिस्ट्रेट के पास दो प्रतियों में भेज दिया जाता है जिसकी स्थानीय अधिकार के अन्तर्गत् वह व्यक्ति निवास करना है या अन्य किसी प्रकार से वहाँ मौजूद है।

 

6. साक्षी को डाक के माध्यम से समन की तामील

संहिता की धारा 69 की उपधारा 1 यह प्रावधान करती है कि साक्षी के लिए समन जारी करने वाला न्यायालय ऐसे समन के अतिरिक्त उस समन की एक प्रति की तामील साक्षी के उस स्थान व पते पर जहाँ वह आम तौर पर रहता है , कारोबार करता है या अभिलाभ हेतु स्वयं कार्य करता है , रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा भेजे जाने का निदेश दे सकता है।

संहिता की धारा 69 की उपधारा 2 यह प्रावधान करती है कि यदि साक्षी द्वारा हस्ताक्षरित अभिस्वीकृति या डाक कर्मचारी द्वारा किया गया यह पृष्ठांकन कि साक्षी ने समन लेने से इंकार कर दिया है , न्यायालय को प्राप्त हो जाता है तो समन जारी करने वाला न्यायालय यह घोषित कर सकता है कि समन की तामील सम्यक् रूप से कर दी गयी है। 

Comments

  1. dhanyawaad bhai.. apke ke parishram ka faal hame exam ke ek din pehle milega ..lol

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