रैगिंग से कैसे बचें? रैगिंग विरोधी उपाय

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आज के इस लेख में हम जानेंगे कि रैगिंग क्या होती है और इससे बचने के लिए कौन-कौन से कानून हैं। यदि आपके साथ भी रैगिंग होती है तो आप उससे बचने के लिए क्या-क्या कानूनी प्रक्रिया अपना सकते हैं? रैगिंग क्या है?   रैगिंग की शुरुआत इसलिए हुई थी ताकि पुराने छात्र आने वाले नए छात्रों को सामान्य और दायरे में रहकर उनसे घुल मिल सकें और उन्हें अच्छा महसूस करा सकें। न कि किसी की भावनाओं को आहत करें। पर समय के साथ रैगिंग शब्द का अर्थ भी बदलने लगा जब पुराने छात्र ने छात्रों को अकारण रैगिंग के नाम पर गलत तरीके और व्यवहार से परेशान करना शुरू कर दिया।  तो अब हम कह सकते हैं कि - Anti-ragging affidivit format के लिए इस दिए गए लिंक पर क्लिक करें -- https://vidhikinfo.blogspot.com/2024/03/affidavit-for-anti-ragging-format-in.html किसी शिक्षण संस्थान, छात्रावास विश्वविद्यालय या किसी विद्यालय आदि में छात्रों के द्वारा ही किसी अन्य छात्र को प्रताड़ित करना या ऐसे किसी काम को करने के लिए जबरन मजबूर करना जो की वह किसी सामान्य स्थिति में नहीं करेगा, इसे ही रैगिंग कहते हैं। रैगिंग शारीरिक मानसिक या मौखिक रू...

Foreign Court & Foriegn Judgement

 विदेशी न्यायालय व विदेशी निर्णय

Foreign Court & Foreign Judgement

 

विदेशी न्यायालय

Foreign Court

 

ऐसे न्यायालय जो भारतीय सीमाक्षेत्र के बाहर स्थित हैं और केन्द्र सरकार द्वारा संचालित नहीं होते और न ही केन्द्र सरकार के आदेश से स्थापित किए गए हैँविदेशी न्यायालय कहलाते हैं। इन न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णय विदेशी निर्णय कहे जाते हैं।

विदेशी न्यायालय को सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 की धारा-2(5) में परिभाषित किया गया है। 

सिविल प्रक्रिया संहिता CPC  की धारा-2(5) के अनुसार- विदेशी न्यायालय से अभिप्राय ऐसे न्यायालय से है जो भारत के बाहर स्थित है और केन्द्रीय सरकार के प्राधिकार से स्थापित नहीं किया गया है या चालू नहीं रखा गया है।

          इस परिभाषा के अनुसार निम्नलिखित दो शर्तों के पूरा होने पर ही कोई भी न्यायालय विदेशी न्यायालय की श्रेणी में आता ह

1. ऐसा न्यायालय भारतीय सीमाक्षेत्र के बाहर स्थित होना चाहिए।

2. ऐसा न्यायालय न तो केन्द्र सरकार के प्राधिकार से स्थापित और न ही संचालित किया जाना चाहिए।

-जैसे  सोबियत रूस, इंग्लैण्ड, अमेरिका, जापान, चान आदि देशों के न्यायालय विदेशी न्यायालय हैं।

 

प्रीवी परिषद् या Privy Council ब्रिटिश काल में भारतीय न्यायालय का ही अंग हुआ करती थी परन्तु अब वर्तमान समय में ऐसा नहीं है, अब प्रीवी काउन्सिल एक विदेशी न्यायालय है।


                                                                  विदेशी निर्णय 

Foreign Judgement

 

संहिता की धारा-2(6) में विदेशी निर्णय की परिभाषा दी गई है।

 

सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा- 2(6) के अनुसार- विदेशी निर्णय से अभिप्राय विदेशी न्यायालय के निर्णय से है।

        इस धारा के अर्थों में मॉरीशस, श्रीलंका आदि न्यायालयों के निर्णय विदेशी निर्णय हैं। विदेशी निर्णय का मामले के गुणावगुण पर होना आवश्यक नहीं है। आवश्यक मात्र यह है कि वह धारा- 2(6) की परिभाषा में आता हो।

 

वाद - राजराजेन्द्रशरद् मोलोजी नरसिंह बनाम शंकर शरण AIR-1962

 

प्रस्तुत वाद में उच्चतम् न्यायालय ने कहा कि- जिस तारीख को निर्णय पारित हुआ है, यदि उस समय निर्णय देने वाला न्यायालय विदेशी न्यायालय की परिभाषा के अन्तर्गत् आता है तो वह निर्णय विदेशी निर्णय होगा परन्तु यदि निर्णय के क्रियान्वयन के समय संबंधित न्यायालय विदेशी न्यायालय की परिभाषा के अन्तर्गत् नहीं आता है तो भी निर्णय विदेशी निर्णय ही माना जाएगा।

TAEKWONDO AND SELF DEFENCE CLASSES

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