रैगिंग से कैसे बचें? रैगिंग विरोधी उपाय

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आज के इस लेख में हम जानेंगे कि रैगिंग क्या होती है और इससे बचने के लिए कौन-कौन से कानून हैं। यदि आपके साथ भी रैगिंग होती है तो आप उससे बचने के लिए क्या-क्या कानूनी प्रक्रिया अपना सकते हैं? रैगिंग क्या है?   रैगिंग की शुरुआत इसलिए हुई थी ताकि पुराने छात्र आने वाले नए छात्रों को सामान्य और दायरे में रहकर उनसे घुल मिल सकें और उन्हें अच्छा महसूस करा सकें। न कि किसी की भावनाओं को आहत करें। पर समय के साथ रैगिंग शब्द का अर्थ भी बदलने लगा जब पुराने छात्र ने छात्रों को अकारण रैगिंग के नाम पर गलत तरीके और व्यवहार से परेशान करना शुरू कर दिया।  तो अब हम कह सकते हैं कि - Anti-ragging affidivit format के लिए इस दिए गए लिंक पर क्लिक करें -- https://vidhikinfo.blogspot.com/2024/03/affidavit-for-anti-ragging-format-in.html किसी शिक्षण संस्थान, छात्रावास विश्वविद्यालय या किसी विद्यालय आदि में छात्रों के द्वारा ही किसी अन्य छात्र को प्रताड़ित करना या ऐसे किसी काम को करने के लिए जबरन मजबूर करना जो की वह किसी सामान्य स्थिति में नहीं करेगा, इसे ही रैगिंग कहते हैं। रैगिंग शारीरिक मानसिक या मौखिक रू...

Order (आदेश) क्या है?

 आदेश (order)



आदेश न्यायिक-प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है। आदेश को सिविल प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure code) की धारा-2(14) के अन्तर्गत विधिवत् परिभाषित किया गया है।

सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा-2(14) के अनुसारआदेश से अभिप्राय व्यवहार न्यायालय के निर्णय की ऐसी औपचारिक अभिव्यक्ति से है, जो आज्ञप्ति नहीं है।

इस परिभाषा के अनुसार कोई भी ऐसा व्यवहार जो आज्ञप्ति(Decree) नहीं, आदेश कहा जायेगा।

              किसी भी वाद के संचालन के लिए समय-समय पर न्यायालय वाद की कार्यवाही में आदेश करता रहता है। वाद में किसी भी तरह का आवेदन किया जा सकता है। किसी भी वाद के संस्थित् होने से लेकर निस्तारण होने तक किसी भी प्रक्रिया में न्यायालय द्वारा आदेश दिया जा सकता है। कोई भी आदेश वाद के सभी पक्षकारों के लिए एक ही समय पर किसी एक पक्षकार के पक्ष में तथा अन्य दूसरे पक्षकार के खिलाफ भी हो सकता है। इसमें प्रारम्भिक या अंतिम जैसा कुछ नहीं होता। अवमान (आदेश न मानना) की कार्यवाहियों में प्रायिक रूप से पारित किया जाने वाला आदेश, आदेश न होकर निर्णय होता है। आदेशों के विरूद्ध दूसरी बार अपील नहीं की जा सकती है। वाद या कार्यवाहियों में आदेशों की संख्या पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

आदेशों का वर्गीकरण 

आदेश दो तरह के होते हैंः-

1. अपील-योग्य आदेश ऐसे आदेश जिनके विरूद्ध न्यायालय में अपील की जा सकती है, अपील योग्य आदेश कहे जाते हैं। केवल वहीं आदेश जो संहिता की धारा-104 तथा आदेश-43 के नियम-1 में उल्लिखित हैं, अपील-योग्य होते हैं।


2. गैर-अपीलीय आदेशऐसे आदेश जिनके विरूद्ध न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है, गैर-अपीलीय आदेश कहे जाते हैं। धारा-104 व आदेश-43 के नियम-1 में उल्लिखित आदेशों के अतिरिक्त सभी आदेश गैर-अपीलीय आदेश होते हैं।    

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